Saturday 6 February 2016

श्रीमद्भगवद्गीता : अध्याय ०१, श्लोक ०१



॥श्रीमद्भगवद्गीता : अध्याय ०१, श्लोक ०१॥
(कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण)
*

धृतराष्ट्र उवाच :
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्र्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥ ०१ ॥
धृतराष्ट्र ने कहा -
हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से
एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?
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टीका:
कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला है ।
धर्मयुद्ध है यह, हर किसी को पता है, सारी पृथ्वी
जान रही यह कि धर्मयुद्ध का ही होने जा रहा
शुभारंभ है । धर्म अधर्म के विरुद्ध युद्ध के लिए
पूर्णरूपेण सुशक्त, सुसंगठित, सुसज्जित होकर
चला आया है कुरुक्षेत्र में, अधर्म का नाश के लिए ।
महाराज धृतराष्ट्र भी भली भाँति यह जान रहे हैं
तभी तो बहुत अधीर, व्याकुल, बेचैन और
सशंकित हैं कि क्या होगा क्या हो रहा और
पूछते हैं संजय से कि  - हे संजय! धर्मभूमि
कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा
पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?
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